मेरा हमदम

बचपन से अब तक, जो था साथ मेरे 

अंधेरी रातों में दानवों को भगाया जिसने

मुझ पर नींद की गहरी चादर ओढ़ाई उसने

मेरी नींद को दिए जिसने मीठे  सपने 

और फिर उन सपनों में सतरंग भरे

जो मेरे थके सर को अपनी आगोश में ले ले

मेरी तन्हाई में मुझे सीने से लगा ले

और जब मैं हूँ सोच में, तो गोद में लेट जाए चुपके से

सर्द रातों को जिसे लगा लूँ मैं गले से

जो मेरे आँसुओं को रात के अंधेरे में जज्ब कर ले

मेरी सिसकियों को अपने सीने में दफन कर ले

और गुस्से में जो दो चार लातें भी खा ले

फिर भी उफ न करे न ही आह भरे

मेरे दुख – सुख  का सदा साथी बना रहे

वो और कोई नही, मेरा तकिया ही है

खुशी के पल हों या हों गम के

मेरा साथी, मेरा हमदम मेरा तकिया ही है।

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