मैं आज हूँ, बस आज ही हूँ
कल मेरी जगह कोई और होगा
बहुत कुछ नया सा होगा
कुछ पहले जैसा ही होगा
मैं आज ही, बस आज ही।
कहीं जन्म होगा, तो कहीं मरण,
कहीं नया अध्याय, कहीं अंतिम चरण
किसी के लिए मैं बेश्किमती
किसी के लिए दुख की घड़ी
मैं आज ही, बस आज ही।
मेरा इंतजार कोई शिद्दत से करे
कोई मुझे भूल मुश्किल में पड़े
किसी का मैं नुकसान हूँ
मैं किसी का फायदा भी हूँ
मैं आज ही, बस आज ही।
जब बीत जाऊँ, तो याद बन जाऊँ
कल, आज से कल में तब्दील हो जाऊँ
तारीख बन कर पंचांग की
हर साल फिर खुद को दोहराऊँ।
मैं आज ही, बस आज ही।
Wonderful
LikeLike
Thanks.
LikeLike
You got it Punam what I had in mind….again a very touching one….kudos to you
LikeLike
Thanks Shubha. I am glad you like it.
LikeLike