जहाँ धर्मनिरपेक्षता सिर्फ़ इक नारा हो
हिंदू मुस्लिम में न भाईचारा हो
जहाँ सिक्ख इसाई असुरक्षित हों
और धर्म के नाम पर दंगे हों
मैं कैसे शीश निवाऊँ उस देश को,
कैसे शीश निवाऊँ?
जहाँ वैचारिक मतभेद की जगह न हो
दूसरे का पक्ष सुनने की मंशा न हो
जहाँ जो श्वेत नही वो सिर्फ़ श्याम ही हो
और हर विपक्षी बस देशद्रोही हो
मैं कैसे शीश निवाऊँ उस देश को,
कैसे शीश निवाऊँ?
जहाँ सत्य की कोई कीमत ही न हो
जहाँ शिक्षा हर किसी को मुहैया न हो
जहाँ स्वच्छता जन जन को सिखानी पड़े
और आरक्षण की कोई सीमा न हो
मैं कैसे शीश निवाऊँ उस देश को,
कैसे शीश निवाऊँ?
जहाँ बेटी कोख में ही मारी जाए
जहाँ खाप पंचायत करे न्याय
जहाँ शोषित को प्रताड़ित किया जाए
और नारी को पीटा, फिर पूजा जाए
मैं कैसे शीश निवाऊँ उस देश को,
कैसे शीश निवाऊँ?