मुद्दतों बाद जब आज मिले
तो कई यादें ताज़ा हुईं
कई पुराने किस्से दोहराए
कुछ कड़ियाँ फिर से जुड़ी।
कुछ शिक्षकों को याद किया
कुछ सहपाठियों की पोल खुली
स्कूल की गलियों से फिर से गुज़रे
और गुज़रे वक्त की बात चली।
दीपक, मिलने का बहाना तुमने दिया
पर यादों का यह सिलसिला पुराना था
तुम इन यादों को संजो लौट जाओगे
हम फिर मिलने के बहाने ढूंढेंगे।